भारत के 245 अरब डॉलर वाले टेक्नोलॉजी और कस्टमर एक्सपीरियंस (CX) सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से अपनी जगह बना रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट ‘रोडमैप फॉर जॉब क्रिएशन इन द AI इकोनॉमी’ के मुताबिक, अगर समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए, तो क्वालिटी एश्योरेंस इंजीनियर, सपोर्ट एजेंट और अन्य सामान्य नौकरियां अगले कुछ वर्षों में खत्म हो सकती हैं।
हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि AI केवल खतरा नहीं है, यह नए अवसर भी लेकर आ रहा है। अनुमान है कि आने वाले पांच वर्षों में AI से जुड़ी भूमिकाओं के कारण लगभग 40 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी।
नए युग की नौकरियां और जरूरी स्किल्स
रिपोर्ट के अनुसार, AI से जुड़े कई नए पद तेजी से उभरेंगे, जिनमें एथिकल AI स्पेशलिस्ट, AI ट्रेनर, सेंटिमेंट एनालिस्ट और AI डेवऑप्स इंजीनियर जैसे कुछ प्रमुख जॉब पोजिशन होंगे। इन नौकरियों के लिए तकनीकी ज्ञान के साथ नई स्किल्स सीखना और पुराने स्किल्स को अपडेट करना बेहद जरूरी होगा।
नीति आयोग ने इस दिशा में ‘नेशनल AI टैलेंट मिशन’ शुरू करने की सिफारिश की है, जो तीन मुख्य लक्ष्यों पर केंद्रित होगा। पहला, AI लिटरेसी को स्कूलों और कॉलेजों में मूलभूत शिक्षा का हिस्सा बनाना। दूसरा, टेक्नोलॉजी और कस्टमर एक्सपीरियंस प्रोफेशनल्स को AI से जुड़ी हाई-वैल्यू नौकरियों के लिए तैयार करना। तीसरा, भारत को ग्लोबल AI टैलेंट हब बनाना, ताकि देशी और विदेशी प्रतिभा को आकर्षित किया जा सके।
सरकार, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत के मौजूदा इंडिया एआई मिशन के साथ तालमेल बैठाकर काम किया जाए। इसके तहत सरकार, इंडस्ट्री और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है। ऐसा करने से कम्प्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा उपलब्धता और रिसर्च इनोवेशन को गति मिलेगी।
रिपोर्ट जारी करते हुए नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका मानव संसाधन है। देश में पहले से ही 90 लाख से ज्यादा टेक्नोलॉजी और कस्टमर एक्सपीरियंस प्रोफेशनल्स काम कर रहे हैं, साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा युवा डिजिटल टैलेंट पूल भी भारत के पास है।
उन्होंने कहा, “अगर भारत अब सही दिशा में कदम बढ़ाता है, तो वह न सिर्फ अपनी वर्कफोर्स को बचा सकता है, बल्कि वैश्विक AI क्षेत्र में लीडर भी बन सकता है।”